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अगर आपके मन में कोई प्रश्न, सुझाव या सेवा में योगदान देने की इच्छा है, तो हमसे बेझिझक संपर्क करें। खाटू श्याम बाबा सेवा फाउंडेशन हर भक्त और समाजसेवी के सहयोग से आगे बढ़ रहा है |
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We’re here to answer any question you may have.
The story of Barbarik, his devotion, and how he became Khatu Shyam Ji.
खाटू श्याम जी को भगवान श्रीकृष्ण का वरदान प्राप्त है, जिनका असली नाम बर्बरीक था। वे महाभारत के महान योद्धा और घटोत्कच के पुत्र थे। उनकी भक्ति, दानशीलता और बलिदान की यह कथा हमें सच्ची श्रद्धा और समर्पण का मार्ग दिखाती है।
बर्बरीक का जन्म महाभारत के वीर योद्धा घटोत्कच और मोरवी के पुत्र के रूप में हुआ था। उन्हें भगवान शिव और अन्य देवताओं का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था, जिससे वे तीन अचूक बाणों के स्वामी बन गए। उनकी शक्ति इतनी अद्भुत थी कि केवल तीन बाणों से वे पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकते थे। इसलिए वे "तीन बाणधारी" के नाम से प्रसिद्ध हुए।
जब महाभारत का युद्ध प्रारंभ हुआ, तो बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने की इच्छा जताई। वे जिस पक्ष को कमजोर देखेंगे, उसी की सहायता करेंगे—ऐसा उनका निश्चय था। उनकी अपार शक्ति को देखते हुए श्रीकृष्ण ने उनका परीक्षण लेने का निश्चय किया।
श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण रूप धारण कर बर्बरीक से पूछा कि वे किस पक्ष की ओर से युद्ध करेंगे। बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वे हमेशा पराजित पक्ष का समर्थन करेंगे। श्रीकृष्ण समझ गए कि अगर बर्बरीक युद्ध में उतरते हैं, तो युद्ध कभी समाप्त नहीं होगा।
श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनके तीन बाणों की परीक्षा ली और उनसे दान में उनका शीश (सिर) मांगा। बर्बरीक ने बिना किसी संकोच के अपना सिर श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया। इस बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में तुम खाटू श्याम के रूप में पूजे जाओगे और जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से तुम्हारा नाम लेगा, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।
बर्बरीक का सिर कलियुग में राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में प्रकट हुआ, जहां खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर स्थापित है। यह मंदिर भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। यहाँ हर साल फाल्गुन मेला और श्याम भक्तों का विशाल आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं।
खाटू श्याम जी को "हारे का सहारा" कहा जाता है क्योंकि जो भक्त जीवन में किसी भी प्रकार से हार मान चुके होते हैं, बाबा श्याम उनकी मनोकामनाएँ पूरी कर उनका जीवन सुखमय बना देते हैं। उनकी कृपा से भक्तों को संकटों से मुक्ति और सफलता का मार्ग मिलता है।
खाटू श्याम जी की आराधना के लिए एकादशी और फाल्गुन मास की द्वादशी सबसे पवित्र मानी जाती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी को खाटू श्याम जी का विशेष मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन के लिए आते हैं।
बाबा श्याम को चूरमा, मालपुए, बेसन के लड्डू, खीर और पेडे़ का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही, भक्त श्याम बाबा को केसर और तुलसी दल भी चढ़ाते हैं, जिससे वे प्रसन्न होते हैं।
खाटू श्याम जी की भक्ति के लिए भक्त श्याम बाबा के भजन, कीर्तन, संकीर्तन, दान-पुण्य, लंगर सेवा और नाम जप करते हैं। "जय श्री श्याम!" का सच्चे मन से उच्चारण करने मात्र से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
बाबा श्याम की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, मन की शांति मिलती है, और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। श्याम बाबा की कृपा से भक्तों को धन, सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है।
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